Loading...
पराग ऑनर लिस्ट प्रतिवर्ष बच्चों और किशोर पाठकों के लिए हिंदी की बेहतरीन किताबों की चयनित सूची प्रस्तुत करती है। बहुस्तरीय स्क्रीनिंग और समीक्षाओं के बाद, बाल साहित्य की गहरी समझ और जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ इस सूची को तैयार करते हैं।
इस साल पराग ऑनर लिस्ट के पांच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में हम उन प्रकाशकों पर नज़र डाल रहे हैं जो लगातार इस लिस्ट में अपनी जगह बनाते रहे हैं। इनकी कुछ पुस्तकों के ज़रिये इनके काम को बच्चों के साथ साझा करते हुए, पढ़ने का आनन्द उठाएं!
चश्मा नया है
लेखन: बच्चों की लिखी कहानियाँ
चित्रांकन: शुभम लखेरा
यह “अंकुर सोसाइटी फॉर अल्टरनेटिव्स इन एडुकेशन” के बच्चों द्वारा लिखी गयी कहानियों का संकलन है। यह एक असाधारण संग्रह है। इस संग्रह को पढ़कर लगता है कि बच्चों के लेखन को संपादित करके प्रकाशित करना बुरा विचार नहीं है। ‘भाई की बकबक’; ‘नेकलेस’; ‘दुआ’; ‘पुत्री का ख़त पिता के नाम’; ‘खिड़की, हवा, मछली और मैं’ अगर डायरी लेखन है तो उतना ही कहानी लेखन भी है। लगता है बच्चे खुद ही वह साहित्य रच लेते हैं जिसकी उन्हें भावनात्मक या बौद्धिक ज़रूरत मह्सूस होती है।
चार चींटियाँ
लेखन: श्याम सुशील
चित्रांकन: निहारिका शिनॉय
यह छोटी सी कहानी एक अनोखे फॉर्मेट में प्रस्तुत की गयी है, जो नए पाठकों को आकर्षित करेगी। चार चींटियाँ जो एक हाथी को पहाड़ मानकर मुश्किलों का सामना करती, उस पर चढ़ जाती हैं, और सब से छोटी तो चोटी पर जा पहुँचती है। ख़ास बात यह है कि वह एक सकारात्मक बात, बहुत ही कम और सीधे सादे शब्दों में, बच्चों के सामने रख जाती है। किताब की दुनिया से बच्चों की दोस्ती कराने वाली किताब।
फेरीवाले
लेखन: सुशील शुक्ल
चित्रांकन: नीलेश गहलोत
कई पन्नों पर नयनाभिराम चित्रों के साथ सज्जित यह कविता रोज़-ब-रोज़ के एक सुपरिचित दृश्य यानी फेरीवालों के मुहल्ले में आने और बच्चों-सयानों के उनके पास आ जुटने का वर्णन करती है। बोलचाल की सहज पर व्यंजक भाषा में इसकी रचना हुई है। पूरे-पूरे सुगठित वाक्य इसकी शोभा हैं। अनेक ब्योरों से भरी यह कविता चित्रात्मक और मार्मिक है। फेरीवाले के बीमार पड़ने पर पूरे मुहल्ले की सहानुभूति हमारे सामाजिक जीवन और मानवीयता को दर्शाती है।
बेटा करे सवाल
लेखन: अनु गुप्ता और संकेत करकरे
चित्रांकन: कैरन हैडॉक और परमिता मुख़र्जी
लड़कों की किशोरावस्था के शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को शोधपरक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करती एक उम्दा किताब है। यह किताब किशोरों की जिज्ञासाओं और अनुभवों को सामने रखते हुए इस विषय की गंभीरता से व्याख्या और विश्लेषण करती है। किताब के असरदार श्वेत-श्याम चित्र, विचारों और समझ को और अधिक स्पष्टता देते हैं। किशोर-किशोरावस्था के विविध पहलुओं के बारे में सूचनाओं, जानकारियों और तथ्यों को समाहित करते हुए इस विषय पर संजीदगी और भरपूर तैयारी से लिखी गई एक ज़रूरी किताब।
जब मैं मोती को घर लाई
लेखन और चित्रांकन: प्रोइती रॉय
हर लिहाज़ से उत्कृष्ट किताब। एक बच्ची एक पिल्ले से इतना जुड़ाव महसूस करने लगती है कि वह हर समय उसी के बारे में सोचती है और उसे घर लाना चाहती है। माँ शुरू शुरू में बहुत संवेदनशील नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे मोह में पड़ी बच्ची की मनोदशा समझ उसे घर ले आने को तैयार है। अंतिम पन्ने पर शब्दों का अचानक चले आना एक नया और सुखद प्रयोग है, जैसे अंतर्मन में चल रहे भाव अचानक शब्दों से छुए गए हों। चित्रों में बच्चों के चित्रों की सी सहजता है जो कलात्मक युक्ति के रूप में सामने आती है।
केरल के केले
लेखन: प्रयाग शुक्ल
चित्रांकन : देबब्रत घोष
इस संकलन की कविताओं का विषय चयन, ताल लय और शब्दों का सहज दोहराव इन्हें बच्चों की पसंदीदा रचनाएँ बनाता है। कुछ कविताएँ बच्चे मज़े-मज़े याद कर गुनगुना सकते हैं। समृद्ध व सादगीपूर्ण भाषा में रची कविताएँ, शिक्षकों के लिए बच्चों को भाषा सिखाने का एक बढ़िया संसाधन उपलब्ध कराती हैं। ‘धम्मक धम्मक आता हाथी’ और ‘ऊँट चला’ जैसी चर्चित रचनाओं में जीवों के चालढाल और रहन सहन का सुन्दर, सजीव चित्रण लुभाता है। सादगी भरे चित्र कविताओं के साथ बोलते-डोलते से लगते हैं और इन्हें नया अर्थ देते हैं।
चमनलाल के पायजामे
लेखन: अनिल सिंह
चित्रांकन: तापोशी घोषाल
इस संग्रह की एक यादगार कहानी है ‘बंदरों की जल-समाधि’ जो मनुष्य की विकास की दौड़ में मारे गए हैं। और उनकी मृत्यु को एक बच्चे की दृष्टि से पाठक को महसूस करवाना लेखक से परिपक्वता की अपेक्षा करता है। इस किताब में ऐसा लगता है कि हर कहानी के केंद्र में जैसे लेखक का अपना ही बाल-रूपी किरदार हो। कस्बाती और ग्रामीण जीवन के जीवंत विवरण एकदम आत्मकथात्मक गल्प की विधा में धीरे-धीरे खुलते हैं और पाठक को एक तरह का काव्य-सुख प्रदान करते हैं।
बिक्सू
लेखन: वरुण ग्रोवर
चित्रांकन: राज कुमारी
‘बिक्सू’ आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले झारखंड के एक ग्रामीण बालक की कहानी है। बिक्सू पढ़ते हुए पाठक संवेदनात्मक और बौद्धिक स्तर पर समृद्ध होंगे ऐसा कई कारणों से लगता है। बिक्सू की कहानी में एक तरफ अगर स्थानीय रंग गहरे हैं तो दूसरी तरफ यह कथा सार्वभौमिक कथाभूमि पर भी एक लकीर खींचती चलती है। यह कथा जितना बाहर चलती है उतना ही भीतर भी। मुख्य पात्र की स्मृतियों और मानसिक द्वंद्वों को भाषा, चित्र और ले ऑउट, डिजाइन–सभी स्तरों पर अभिव्यक्त करने की कोशिश की गई है।
स्कूल में हमने सीखा और सिखाया
लेखन: निकीता धुर्वे
चित्रांकन: पूजा साहू
यह छोटी-सी किताब अंग्रेजी माध्यम में पढ़नेवाले कई बच्चों की आपबीती हो सकती है। छोटे- बड़े गाँव शहरों में अभिभावक बड़े उम्मीदों से बच्चे को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिल करते हैं, पर ज़्यादातर बच्चों के लिए भाषा अपरिचित होने के कारण पढ़ाई कठिन और नीरस हो जाती है। यह किताब गोंड बच्चों के माध्यम से, इसी समस्या को उजागर करती हैं। यह श्रृंखला सरल भाषा, सहज प्रस्तुति और सार्थक प्रयास का उदाहरण है, जिसपर छात्र और शिक्षकों के बीच चर्चा निहायत ज़रूरी है।
नरम गरम दोस्ती
लेखन: नीतू यादव
चित्रांकन: शेफाली जैन
कहानी नरम गरम दोस्ती, हाशियाकृत समुदाय के जीवन यथार्थ से अवगत कराती है। इसमें स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों की दोस्ती का भावपूर्ण घटनाक्रम है। इस तरह की कहानियाँ बाल साहित्य में बिरले ही पढ़ने को मिलती हैं। भाषा के ज़रिए यह कहानी कई स्तरों पर तरह-तरह के अर्थ बनाती है और सोचने-विचारने व सवाल उठाने को बाध्य करती है। सहज सरल भाषा पाठक को जुड़ाव महसूस कराती है। किताब के चित्र कहानी के परिवेश, सन्दर्भ और कथानक को सहजता से उभारते हैं।
पराग ऑनर लिस्ट की पूरी सूची बायो में देखें : https://www.paragreads.in/parag-reads/parag-honour-list/
When Pictures Speak a Thousand Words
We often say that children’s literature is for everyone- it offers the imagination, the narrative and the richness that can appeal to readers of all…
1993 से हर साल 22 मार्च विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ब्राज़ील के रिओ डि जेनेरियो के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में साल 1992 में मीठे पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित…